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Sunday May 12, 2024
Aryavart Times

कैबिनेट ने भारत में सेमीकंडक्टरों और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम विकास कार्यक्रम को मंजूरी दी

कैबिनेट ने भारत में सेमीकंडक्टरों और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम विकास कार्यक्रम को मंजूरी दी

केंद्रीय मंत्रिमंडल (cabinet) ने भारत में सेमीकंडक्टरों और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम के विकास के लिए कार्यक्रम को मंजूरी दी ।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने और भारत को इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाइन एवं विनिर्माण के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने के उद्देश्य से देश में सेमीकंडक्टरों और डिस्प्ले इकोसिस्टम के विकास के लिए व्यापक कार्यक्रम को मंजूरी दी है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने बैठक के बाद संवाददाताओं को यह जानकारी दी ।
सरकारी बयान के अनुसार, भारत सरकार ने आधारभूत बिल्डिंग ब्लॉक के रूप में देश को सेमीकंडक्टरों (semiconductor) वाली इलेक्ट्रॉनिक सामग्रियों के निर्माण के लिए वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए 2,30,000 करोड़ रुपए (30 बिलियन अमेरिकी डॉलर) की सहायता दी हैं।
भारत में 76,000 करोड़ रुपये (10 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक) के परिव्यय के साथ सेमीकंडक्टरों तथा डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम के विकास के कार्यक्रम की मंजूरी के साथ, भारत सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक घटकों, उप-संयोजनों और तैयार माल सहित आपूर्ति श्रृंखला के हर हिस्से के लिए प्रोत्साहन की घोषणा की है।
बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए पीएलआई, आईटी हार्डवेयर के लिए पीएलआई, स्पेक्स योजना तथा उन्नत इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर (ईएमसी 2.0) योजना के लिए पीएलआई के तहत 55,392 करोड़ रुपये (7.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर) की प्रोत्साहन सहायता राशि को मंजूरी दी गई है।
इसके अलावा, एसीसी बैटरी, ऑटो घटकों, दूरसंचार तथा नेटवर्किंग उत्पादों, सौर पीवी मॉड्यूल एवं व्हाइट गुड्स सहित संबद्ध क्षेत्रों के लिए 98,000 करोड़ रुपये (13 बिलियन अमेरिकी डॉलर) की पीएलआई प्रोत्साहन राशि स्वीकृत की गई हैं।
यह कार्यक्रम सेमीकंडक्टरों और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग के साथ-साथ डिजाइन के क्षेत्र में कंपनियों को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी प्रोत्साहन पैकेज प्रदान करके इलेक्ट्रॉनिक सामग्रियों के निर्माण में एक नए युग की शुरुआत करेगा। यह सामरिक महत्व तथा आर्थिक आत्मनिर्भरता के इन क्षेत्रों में भारत के प्रौद्योगिकीय नेतृत्व के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा।







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