मोदी सरकार ने पीएम ई-विद्या नाम से एक व्यापक पहल शुरू करने की घोषणा की है जो डिजिटल/ऑनलाइन/ऑन-एयर शिक्षा से संबंधित सभी प्रयासों को एक साथ जोड़ेगी। यह शिक्षा के लिए वैकल्पिक पहुंच उपलब्ध कराएगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसकी जानकारी दी । इसमें दीक्षा (एक राष्ट्र-एक डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म) जो सभी राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के लिए स्कूली शिक्षा में गुणवत्ता ई-सामग्री प्रदान करने के लिए देश का डिजिटल बुनियादी ढांचा बन जाएगा । वहीं एक कक्षा-एक चैनल कक्षा 1 से 12 तक प्रत्येक छात्र के लिए प्रति ग्रेड एक समर्पित चैनल होगा जो गुणवत्ता युक्त शैक्षिक सामग्री तक पहुंच प्रदान करेगा ।
सरकार खुली, दूरी और ऑनलाइन शिक्षा नियामक ढांचे को उदार बनाकर उच्च शिक्षा में ई-लर्निंग का विस्तार कर रही है। शीर्ष 100 विश्वविद्यालय ऑनलाइन पाठ्यक्रम शुरू करेंगे। साथ ही, पारंपरिक विश्वविद्यालयों और ओडीएल कार्यक्रमों में ऑनलाइन घटक भी वर्तमान 20% से बढ़ाकर 40% किया जाएगा। यह विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में लगभग 7 करोड़ छात्रों को सीखने के अवसर प्रदान करेगा।
सीखने पर ध्यान केंद्रित करने वाले छात्रों के लिए अनुभवनात्मक और सहज सीखने की प्रक्रिया के साथ-साथ उनमें रचनात्मक सोच और कौशल को भी बढ़ावा देने की आवश्यकता है। पाठ्यक्रम में भारतीय लोकाचार और मूल्य निहित होने चाहिए तथा उसे वैश्विक स्तर पर आवश्यक कौशल के अनुरुप ढाला जाना चाहिए। इसलिए, वैश्विक बेंचमार्क के अनुरुप ही छात्रों और शिक्षकों के भविष्य के लिए एक नया राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शैक्षणिक ढांचा तैयार करने का निर्णय लिया गया है।
देश में प्रत्येक बच्चे तक ग्रेड 3 में साक्षरता और न्यूमरेसी की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय साक्षरता और न्यूमेरसी मिशन शुरू किया जाएगा। इसके लिए, शिक्षकों में क्षमता निर्माण, एक मजबूत पाठ्यक्रम ढांचा, सीखने की सामग्री को आकर्षक बनाने- ऑनलाइन और ऑफलाइन, सीखने के परिणामों और उनके माप सूचकांकों, मूल्यांकन तकनीकों तथा सीखने की प्रगति पर नज़र रखने जैसे कार्यों को एक व्यवस्थित रूप दिया जाएगा। इस मिशन से 3 से 11 वर्ष के आयु वर्ग के लगभग 4 करोड़ बच्चे लाभान्वित होंगे।
मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि एक राष्ट्र, एक डिजिटल प्लेटफॉर्म और एक कक्षा एक चैनल यह सुनिश्चित करेंगे कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सामग्री देश के दूर-दराज के इलाकों में मौजूद छात्रों तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि यह पहल देश में सब तक समान रुप से शिक्षा की पहुंच को बढ़ावा देगी और आने वाले समय में स्कूलों में नामाकंन के अनुपात में सुधार करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि दिव्यांग बच्चों के लिए भी उचित व्यवस्था करने पर विचार किया जा रहा है और ये उपाय नए भारत के निर्माण में एक नए प्रतिमान स्थापित करेंगे।
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